लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ ।
ज्ञानयोगेन साङ्ख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् ॥
ज्ञानयोगेन साङ्ख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् ॥
भावार्थ : श्रीभगवान ने कहा - हे निष्पाप अर्जुन! इस संसार में आत्म-साक्षात्कार की दो प्रकार की विधियाँ पहले भी मेरे द्वारा कही गयी हैं, ज्ञानीयों के लिये ज्ञान-मार्ग (सांख्य-योग) और योगियों के लिये निष्काम कर्म-मार्ग (भक्ति-योग) नियत है।
Follow Pavitra Bhajan On:
►Facebook: https://www.facebook.com/pg/PavitraBhajan/
►Instagram: https://www.instagram.com/pavitrabhajan/
►Twitter: https://twitter.com/bhajanpavitra
►Pinterest: https://in.pinterest.com/pavitrabhajanofficial/
►YouTube: https://www.youtube.com/channel/UCIZ_t3D1pAGxcVXWMaqTHOw
No comments:
Post a Comment