Monday, 23 August 2021

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 35 - (Shlok 35)

 यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव ।
येन भुतान्यशेषेण द्रक्ष्यस्यात्मन्यथो मयि ॥ 



भावार्थ : हे पाण्डुपुत्र! उस तत्व-ज्ञान को जानकर फिर तू कभी इस प्रकार के मोह को प्राप्त नही होगा तथा इस जानकारी के द्वारा आचरण करके तू सभी प्राणीयों में अपनी ही आत्मा का प्रसार देखकर मुझ परमात्मा में प्रवेश पा सकेगा।


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...