Thursday, 8 July 2021

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 10 - (Shlok 10)

 वीतरागभय क्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः ।
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः ॥ 



भावार्थ : आसक्ति, भय तथा क्रोध से सर्वथा मुक्त होकर, अनन्य-भाव (शुद्द भक्ति-भाव) से मेरी शरणागत होकर बहुत से मनुष्य मेरे इस ज्ञान से पवित्र होकर तप द्वारा मुझे अपने-भाव से मेरे-भाव को प्राप्त कर चुके हैं। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...