Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 11 - (Shlok 11)

 देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः ।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥ 



भावार्थ : इस यज्ञ द्वारा देवताओं की उन्नति करो और वे देवता तुम लोगों की उन्नति करेंगे, इस तरह एक-दूसरे की उन्नति करते हुए तुम लोग परम-कल्याण (परमात्मा) को प्राप्त हो जाओगे। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...