Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 21 - (Shlok 21)

 वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्‌ ।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्‌ ॥


भावार्थ : हे पृथापुत्र अर्जुन! जो पुरुष इस आत्मा को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरुष कैसे किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है?


Follow Pavitra Bhajan On: 

►Facebook: https://www.facebook.com/pg/PavitraBhajan/

►Instagram: https://www.instagram.com/pavitrabhajan/​

►Twitter: https://twitter.com/bhajanpavitra

►Pinterest: https://in.pinterest.com/pavitrabhajanofficial/

►YouTube: https://www.youtube.com/channel/UCIZ_t3D1pAGxcVXWMaqTHOw

No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...