Tuesday, 6 July 2021

श्लोक 22 - (Shlok 22)

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्‌ ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ॥


भावार्थ : जिससे मैं युद्धभूमि में उपस्थित युद्ध की इच्छा रखने वालों को देख 
सकूँ कि इस युद्ध में मुझे किन-किन से एक साथ युद्ध करना है।

No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...