Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 23 - (Shlok 23)

 यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥



भावार्थ : हे पार्थ! यदि मैं नियत-कर्मों को सावधानी-पूर्वक न करूँ तो यह निश्चित है कि सभी मनुष्य मेरे ही मार्ग का ही अनुगमन करेंगे। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...