Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 29 - (Shlok 29)

 प्रकृतेर्गुणसम्मूढ़ाः सज्जन्ते गुणकर्मसु ।
तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत्‌ ॥ 



भावार्थ : माया के प्रभाव से मोह-ग्रस्त हुए मनुष्य सांसारिक कर्मों के प्रति आसक्त होकर कर्म में लग जाते हैं, अत: पूर्ण ज्ञानी मनुष्य को चाहिये कि वह उन मन्द-बुद्धि (सकाम-कर्मी) वालों को विचलित न करे। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...