Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 37 - (Shlok 37)

 काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः ।
महाशनो महापाप्मा विद्धयेनमिह वैरिणम्‌ ॥



भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - इसका कारण रजोगुण से उत्पन्न होने वाले काम (विषय-वासना) और क्रोध बडे़ पापी है, तू इन्हे ही इस संसार में अग्नि के समान कभी न तृप्त होने वाले महान-शत्रु समझ।


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श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...