Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 39 - (Shlok 39)

 एषा तेऽभिहिता साङ्‍ख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां श्रृणु ।
बुद्ध्‌या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥



भावार्थ : हे पार्थ! यह बुद्धि तेरे लिए ज्ञानयोग के विषय में कही गई और अब तू इसको कर्मयोग के विषय में सुन- जिस बुद्धि से युक्त हुआ तू कर्मों के बंधन को भली-भाँति त्याग देगा अर्थात सर्वथा नष्ट कर डालेगा॥


Follow Pavitra Bhajan On: 

►Facebook: https://www.facebook.com/pg/PavitraBhajan/

►Instagram: https://www.instagram.com/pavitrabhajan/​

►Twitter: https://twitter.com/bhajanpavitra

►Pinterest: https://in.pinterest.com/pavitrabhajanofficial/

►YouTube: https://www.youtube.com/channel/UCIZ_t3D1pAGxcVXWMaqTHOw

No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...