Wednesday, 4 August 2021

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 28 - (Shlok 28)

 द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे ।
स्वाध्यायज्ञानयज्ञाश्च यतयः संशितव्रताः ॥


 
भावार्थ : कुछ मनुष्य धन-सम्पत्ति के दान द्वारा, कुछ मनुष्य तपस्या द्वारा और कुछ मनुष्य अष्टांग योग के अभ्यास द्वारा यज्ञ करते हैं, कुछ अन्य मनुष्य वेद-शास्त्रों का अध्यन करके ज्ञान में निपुण होकर और कुछ मनुष्य कठिन व्रत धारण करके यज्ञ करते है।


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...