Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 25 - (Shlok 25)

सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत ।
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम्‌ ॥ 



भावार्थ : हे भरतवंशी! जिस प्रकार अज्ञानी मनुष्य फ़ल की इच्छा से कार्य (सकाम-कर्म) करते हैं, उसी प्रकार विद्वान मनुष्य को फ़ल की इच्छा के बिना संसार के कल्याण के लिये कार्य करना चाहिये। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...