Wednesday, 7 July 2021

श्लोक 26 - (Shlok 26)

 न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङि्गनाम्‌ ।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्तः समाचरन्‌ ॥ 



भावार्थ : विद्वान महापुरूष को चाहिए कि वह फ़ल की इच्छा वाले (सकाम-कर्मी) अज्ञानी मनुष्यों को कर्म करने से रोके नही जिससे उनकी बुद्धि भ्रमित न हो, बल्कि स्वयं कर्तव्य-कर्म को भली-प्रकार से करता हुआ उनसे भी भली-भाँति कराते रहना चाहिये। 


No comments:

Post a Comment

श्रीमद् भगवद् गीता :- श्लोक 39 - (Shlok 39)

 श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥  भावार्थ : जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धावान है और जिसने...